Sunday, February 15, 2009

on thus spok zarthustra

नीत्शे ने तीसरी इकाई मे जो भी कहा है "पिछली दुनिया का आदमी " वह रूडी वादियों के लिए कहा है वह उसे पिछली दुनिया का आदमी कहता है शुसोभित नै भी कुछ ऐसा ही अक बार लिखा था रूडीवादियों के लिए
इस दुनिया को वह एक "गुलाबी सपना" कहता है
दूसरी इकाई मे सोने के लिए ज़ोर देता है " सोना आम कला नही सोने के बाद आप दिन भर जाग सकते हो और मर्यादा वाले आदमी को कुछ देर अपनी मर्यादाओ को सोने के लिए अवकाश दे देना चाहिए "
गज़ब की बात यहाँ कही गई है क्योकि जो ठीक से सोता नही उसका जागरण भी नींद भरा होगा ओशो ने ज़ोरबा द ग्रीक मे भी यही कहते है