Sunday, June 10, 2012

दोस्तोवस्की के उपन्यास "क्राइम एंड पनिशमेंट" को पड़ चुकने के बाद मुझे प्रतीत हुवा कि यह पूरी कहानी एक भूलभुलैया है, और इस भूलभुलैया मे कई-कई दरवाजे है, सरे छद्मा द्वार, सिर्फ एक को छोड़कर... उस द्वार के पीछे आखिर क्या हो सकता है?

पुरे एक साल मै इस भूलभुलैया मै भटकता रहा उस एकमात्र सही दरवाजे कि ताकाश मे किन्तु मुझे मालूम न था कि आखिर उस दरवाजे के पीछे क्या होगा? इस किताब मे मौजूद सरे दरवाजे मेने इस एक साल मे खोलकर देख डाले, किन्तु सारे दरवाजों के पीछे एक लम्बी और भीमकाय दीवार के आलावा कुछ नहीं था।

पुष्ठो ३६८ से ३८४ के बिच एक दरवाज़ा है। इन पुष्ठो
के बिच ही रस्कोलनिकोव सोनिया के समक्ष अपना अपराध स्वीकार करता है कि 'उसने ही उस खूसट सूदखोर बुढी़या की हत्या की' और 'क्यू' ? उस की दलीलों मे वह दरवाज़ा मौजूद है। इस दरवाजे को खोलने के बाद मुझे मालूम हुवा कि "क्राइम एंड पनिशमेंट" के असली दस्तावेज़ तो दोस्तोवस्की ने यहाँ इस गुप्त द्वार के पीछे छुपा रक्खे है...दोस्तोवस्की कि असली कहानी इस द्वार के पीछे मोजूद है। उस कहानी मे न रस्कोलनिकोव मोजूद है, न वह बूढी सूदखोर महिला, न ही मजलूम सोनिया....सिर्फ एक अपराध-भाव मोजूद है, वह अपराध-बोध किसी की मृत्यु से नहीं नहीं गोया जीवन की मूल्यहीनता से उपजा है।