(गीत चतुर्वेदी की कहानी "साहब है रंगरेज़" पड़ने के बाद।)
अभागे है प्रेमी लोग
ओह प्रेम !
तुम एक असीम इन्द्रधनुष हो
असंख्य रंगों वाले,
लेकिन प्रेमी लोग अभागे है।
वह तुम पर चलते-टहलते हुवे भी
स्पर्श कर पते है
तुम्हारे किसी एक रंग को ही।
कभी वे चलते है तुम्हारी लाल पकदंडीयो पर,
कभी वे मिलकर हरी पर होते है साथ साथ ,
और कभी एक पिली पर होता है तो
दूजा काली पर।
अदभूत है यहाँ चलना, यहाँ टहलना,
विस्मय से भरा,
लेकिन प्रेमी लोग कभी न जान पाए
तुम्हारे पूर्ण वुत्त को।
प्रेम मे डुबे संपूर्ण प्रेमी वे है
जो जानते है इन्द्रधनुष होना ।
वे ही चदा पते है परस्पर
अपने हृदयों पर प्रत्यंचा
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