Sunday, March 25, 2012

अनुराग भाई और दोस्तों,
सरे तथाकथित धर्म और धार्मिक लोग इस वाक्य से चुक गए है। जब हरी अनंत है और हरी कथा भी तो हरी और हरी कथा परस्पर कही भी मोजूद हो सकते है। वोह कथा गीता मे मोजूद हो सकती है, कुरान मे, बाईबल मे, धम्पद मे, तोलोस्तोय के वार एंड पिस मे,पुनरुथान मे, अन्ना केरिनिना मे, दोस्तोवस्की के अपराध और दंड मे, काफ्का के मेटामोरफौसीस मे, इन द पेनल कालोनी मे, उन कि लघु कथाओ मे, उन के संवादों मे, उन के पत्रों मे, वान गौघ की जीवनी मे,ओलेनिनिं के प्रेम मे, सूफियों के हिज्र मे, कही भी।

सदर वन्दे

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