आत्मालाप
love verma
Saturday, May 19, 2012
मंटो के नाम में सआदत हसन का संपूर्ण साहित्यिक और गेर साहित्यिक व्यक्तित्व सिमट आया था। मंटो को भी इस का एहसास था। इसलिए लिखते है : "और यह भी हो सकता है कि सआदत हसन मर जाए और मंटो न मरे"
वारिस अल्वी कि किताब से
साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित
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